8TH SEMESTER ! भाग-6 (First Day)
"कुछ भी बोल अजय , लेकिन कॉलेज मस्त है, यहाँ की माल भी मस्त है..."पीछे वाले बेंच पर अपने दोनो हाथ टिका कर अरुण बोला, इतने देर मे शायद वो मेरा नाम भूल गया था....
"अरमान, ना की अजय..."
"ले ना यार अब खा मत..."
"पता नही किससे पाला पड़ा है..."मैं बड़बड़ाया और फिर सामने देखने लगा....
"गुड मॉर्निंग स्टूडेंट्स..."अपने सीने से एक बुक चिपका कर एक मैम अंदर आई, मैम क्या वो तो पूरी माल थी माल , 5'8" लगभग हाइट , मॉडल्स की तरह कमर , गोरा रंग....उसे क्लास के अंदर आता देखकर सभी खड़े हो गये और कुछ लड़को का खड़ा भी हो गया ,.
"साला ये कॉलेज है या गोआ का बीच, जिधर नज़र घूमाओ एक से बढ़कर एक दिखती है..."अरुण अपने ठरकी अंदाज़ मे धीरे से बोला.....
उसके बाद कुछ देर तक इंट्रोडक्शन चला, जिसमे हमे उस मैम का नाम मालूम चला,...उस 5'8" हाइट वाली मैम का नाम दीपिका था, और वो हमे कंप्यूटर साइन्स पढ़ने आई थी, साली जितनी ज़्यादा गोरी थी उतना ही काला उसका दिल था, क्लास मे आते ही उसने एक साथ 10 असाइनमेंट दे दिए और बोली कि हर 3 दिन मे वो एक असाइनमेंट चेक करेगी और तो और नेक्स्ट मंडे को टेस्ट का बोलकर उसने सबकी फाड़ के रख दी.....
"ये लौंडी है कौन, इसकी माँ की..."असाइनमेंट और टेस्ट का सुन अरुण रोने वाली स्टाइल मे बोला" बाहर मिले ये... खोल के मार लूँगा इसके...... घमंड को "
"कंट्रोल भाई..."उसके कंधे को सहलाकर उसे दिलासा देते हुए मैं बोला.....
"घंटे का कंट्रोल, इसे तो हवेली मे ले जाकर पेलुँगा ..."
"हवेली....".
"तू बच्चा है अभी, राज कॉमिक्स पढ़, ये सब बड़े लोग करते है..."
अरुण क्या कहना चाहता था, ये तो मेरे सर के उपर से निकल गया, दीपिका मैम ने आते ही सबकी फाड़ डाली थी, ये तो सच था, लेकिन सच ये भी था कि उस एक क्लास मे ही आधे से अधिक लड़के एक दूसरे को बोलने लगे थे कि "सीएस वाली मैम तेरी भाभी है....
दीपिका मैम के मस्त लंबे-लंबे बाल थे,....सर के 😂 और उसके बाल अक्सर उसके चेहरे पर आ जाते, जिन्हे किसी फिल्मी हीरोइन की तरह अपने सामने आए बालो को वो पीछे करती, उस पीरियड मे हमारी क्लास की लड़कियो की फुल टू बेज़्जती होती थी, यूँ तो पूरा कॉलेज फुलझड़ियों से भरा पड़ा था ,लेकिन हमारे ब्रांच की लड़किया कॉमेडी सर्कस की भारती की तरह थी, सिवाय एक दो को छोड़ कर , उन्हे कोई नही देखने वाला था ,क्यूंकी जब हीरा सामने हो तो कोयले की चाह कौन करेगा....
"तुम्हारा नाम क्या है....""सुनाई नही देता क्या..."
"अबे तुझे बोल रही है ,खड़े हो..."अपनी कोहनी को अरुण ने मेरे पेट मे दे मारा और मैं जैसे अपने ख़यालो से बाहर आया...इस तरह मुझे खड़ा करने से मैं थोड़ा हड़बड़ा गया था, जिसके कारण कुछ स्टूडेंट्स हँसे भी थे.....
"येस मैम ..."मैं उठ खड़ा हुआ, मेरी हालत उस समय ठीक वैसी थी ,जैसे एक बकरे की हालत कसाई को देखकर होती है,
"पहले ही दिन, पहले ही क्लास मे बेज़्जती..."सच बताऊ, तो मेरी उस वक़्त पूरी तरह फटी हुई थी, ना जाने वो क्या बोल दे और फटी मे मै क्या बोल दू...
"तुम अपनी कॉपी लेकर इधर आओ..."दीपिका मैम ने मुझे सामने बुलाया....
दिल की धड़कनें बढ़ने लगी और यही ख़याल आता रहा कि दीपिका मैम कहीं कुछ पुछ ना ले, क्यूंकी अभी तक ना तो मैने कुछ लिखा था और ना ही कुछ पढ़ा था, अभी तक मेरा ध्यान सिर्फ़ और सिर्फ़ उसी पर था....
"यहाँ मैं कॉमेडी कर रही हूँ क्या...."
"नो मैम ..."अपना सर झुकाए मैं किसी बच्चे की तरह सामने खड़ा था, और उस समय का इंतज़ार कर रहा था ,जब वो गुस्से से चिल्लाती हुई मेरी कॉपी फेक दे और मैं फिर अपनी कॉपी उठाकर वापस अपनी जगह पर बैठ जाऊ.....
"नाम क्या है तुम्हारा...".
"अरमान...."
"क्या अरमान है तुम्हारे,...ज़रा सबको बताओ..."
"सॉरी मैम , आगे से कुछ नही करूँगा...."ये तो मैने मैम से कहा , लेकिन मैं उसे कुछ और भी बोल सकता था और वो ये था "मेरे अरमान ये है कि तुझे पटक-पटक कर यही पर पेलू , कभी आगे से तो कभी पीछे से...."
"सिट डाउन, और दोबारा मेरी क्लास मे कोई हरकत करने से पहले सोच लेना...".
अपना मुँह लटकाए , मैं वापस अपनी जगह पर आया ,जहाँ अरुण बैठा मज़े ले रहा था....
"अब चुप हो जा..."खुन्नस मे मैने कहा और खुन्नस मे मेरी आवाज़ ज़रा तेज हो गयी ,जिससे वो 5'8" हाइट वाली फिर भड़की और मुझे एक बार फिर से खड़ा किया....
"वो मैम... उससे मैं कुछ पुछ रहा था..." दीपिका मैम , मेरा गला दबाती उससे पहले ही मैने बोल दिया....
"तुम भी खड़े हो..."अबकी बार इशारा अरुण की तरफ था, और जब मैम ने उसे खड़े होने के लिए कहा तो उसके चेहरे का रंग भी बदल गया,...
"क्या पुछ रहा था ये तुमसे...".
"वो मैम , बाइनरी को ओकटल मे कन्वर्ट करने की मेथड , पुछ रहा था.. आज इसका पहला दिन है ना... तो नही जानता ."झूठ बोलते हुए अरुण ने मेरी तरफ देखा और सारी क्लास ने हम दोनो की तरफ निगाहे डाली...
"गेट आउट...."
"क्या..."
"मेरी क्लास से बाहर जाओ और आज का तुम्हारा अटेंडेन्स कट, और अगली क्लास मे आओ, तो ज़रा ध्यान से, क्यूंकी यदि नेक्स्ट क्लास मे तुमने कोई हरकत की तो असाइनमेंट डबल हो जाएगा....."
इस आस मे कि मैम का दिल थोड़ा दरियादिल हो और वो मुझे वापस नीचे बैठा दे , इसलिए मैं थोड़ी देर अपनी जगह पर खड़ा रहा,...लेकिन वो इस बीच हज़ारो बार मुझे बाहर जाने के लिए चिल्ला चुकी थी , और फिर उसने आख़िरी बार कॉलेज के डायरेक्टर के पास ले जाने की धमकी दी...पूरी क्लास के सामने मेरी इज़्ज़त मे चार चाँद लग चुके थे, लेकिन जब दीपिका मैम ने डायरेक्टर का नाम लिया तो मैं किसी भीगी बिल्ली की तरह क्लास से बाहर आया.......
मुझे अब भी याद है उस दिन मैं पूरे 40 मिनट. क्लास के बाहर खड़े रहा, और फिर जब दीपिका मैम का पीरियड ख़तम हुआ और वो बाहर निकली...लेकिन मेरी तरफ गुस्से से अपनी नाक सिकोड कर वहाँ से आगे चली गयी, और जब मैं क्लास मे घुसा तो तब सभी की नज़रें मुझ पर ही टिकी हुई थी......
"आओ बेटा अरमान, क्या पूरे हुए आपके दिल के अरमान..."
"चुप रह साले, वरना यही फोड़ दूँगा, मुंडा मत बमका ..."
"ओ तेरी, सॉरी यार...यदि तुझे बुरा लगा हो तो..."अरुण बोला....
उस दिन उस क्लास मे दो लोग ऐसे थे, जिन्हे मैं चाहकर भी नही भुला सकता हूँ, एक तो मेरा खास दोस्त बना और एक लड़की ऐसी थी, जिसे देखकर ही मेरे मुँह से गालियों की पवित्र धारा निकलने लगती थी....
"नवीन..."एक लड़के ने पहले अरुण की तरफ हाथ बढ़ाया और फिर मेरी तरफ....
नवीन माइनिंग ब्रांच का था, और वो भी थोड़ा सावला था, नवीन को देखकर आदतन एक बार फिर मैने खुद से चिल्लाकर कहा कि"मैं तो इससे ज़्यादा हैंडसम हूँ...."
"भाई, अगली क्लास से थोड़ा संभाल कर..."मुझे नसीहत देने लगा वो.
दूसरी क्लास तो शुरू हो चुकी थी, लेकिन टीचर अभी तक नही आया था,लड़के हो या लड़कियाँ सभी सब्ज़ी-मॅंडी की तरह चीख रहे थे, और उसी दौरान एक लड़की सामने आई और हम सबको शांत रहने के लिए कहा....लेकिन हालत पहले जैसे ही रहे...जिससे वो लड़की सामने वाले बेंच पर बैठे लड़को से कुछ बोली, और सामने बेंच पर बैठे लड़के उसकी आज्ञा का पालन करते हुए बाकियो को शांत रहने के लिए कहा, कुछ देर लगा सबको शांत करने मे....
"गुड मॉर्निंग फ्रेंड...माइ नेम ईज़ सिबिन ..."
"तो क्या चुसेगी सब का.. सिबिन ."अरुण ने एक पल बिना गवाए ये बोला, सुन तो सबने लिया था, लेकिन सब साले रियेक्शन ऐसे कर रहे थे, जैसे कानो मे रूई डाल के आए हो, सामने खड़ी उस लड़की ने भी सुन लिया था, लेकिन वो भी ऐसे रिएक्ट कर रही थी, जैसे उसने सुना ना हो..... मतलब फुल इग्नोर 😋
"ये तो मरवायेगी , साली ..."
"इसके पिछवाड़े मे लात मारकर बैठाओ इसको..."पहले अरुण और फिर उसके सुर मे सुर मिलाता हुआ नवीन बोला, मैं भी जोश मे आ गया और बोला
"इस इंट्रोडक्शन वाली लौंडिया को नंगी करके पूरे कॉलेज मे दौड़ाना चाहिए...."
"मैं बोलता हूँ कि सबको मुक्का -मुक्का इस साली के फेस पे मारना चाहिए, होशियारी पेलने आई है यहाँ...."
उधर सिबिन के बाद बाकी की लड़कियो ने भी अपना इंट्रोडक्षन दिया, ये सिलसिला और भी आगे चलता यदि thermodynamic के सर वहाँ ना आए होते तो....बेसिकली हमारा सब्जेक्ट था,बेसिक मैकेनिकल इंजीनियरिंग , (बीएमई) , लेकिन जो सर हमे पढ़ने आए थे, उनका खुद का बेस क्लियर नही था , पूरी क्लास के दौरान उसने क्या पढ़ाया कुछ समझ नही आया, उसे खुद भी समझ नही आया होगा. साला बोला भी किस भाषा मे था, ये भी समझ मे नही आया....पढ़ाई की तरफ मैं थोड़ा सेन्सिटिव था, और अपना पूरा सर बीएमई के पीरियड मे खपाने के बाद भी जब , कुछ समझ नही आया तो, एक डर दिल मे उठने लगा कि साला एग्जाम मे क्या होगा....
"क्या हुआ,..."
"यार कुछ समझ नही आ रहा..."
"तो टेंशन किस बात की ये टॉपिक ही छोड़ दे...कौन सा तुझे टॉप मारना है"
"मुझे टॉप ही मारना है..."उस वक़्त तो अरुण से मैने ये कह दिया ,लेकिन ये जुनून मेरे सर से बहुत जल्द उतरने वाला था, ये मैं नही जानता था.........
"उसको देख, खुद को मिस वर्ल्ड समझ रही है..."अरुण ने उसी लड़की की तरफ इशारा किया, जो कुछ देर पहले सामने आकर अपना इंट्रो दे रही थी....
"मेरा बस चले तो इसका टी.सी. ही इसके हाथ मे दे दूं..."सिबिन की तरफ देखते हुए मैने कहा,
कुछ देर पहले जब वो सामने आकर बोल रही थी तो उसकी आवाज़ नेचुरल नही थी, वो अपनी आवाज़ मे बात ना कर बनावटी आवाज़ मे (fake accent ) अलग ही टोन मे बात कर रही थी, जो कि अक्सर लड़किया करती है.....नवीन उस वक़्त स्टडी मे लगा हुआ था, और मैं और अरुण उस लड़की को देखकर दिल ही दिल मे बुरा भला कह रहे थे,...तभी उसकी नज़र हम पर पड़ी , और मैने तुरंत अपनी नज़रें उसकी तरफ से हटा कर अपने कॉपी की तरफ कर ली..... एकदम घिन सी होती थी उसे देखते ही.. उसके थोबड़े मे मुक्के पे मुक्का मारने का विचार एक बार फिर आया....
"अबे, कहीं ये... ये ना सोच ले कि हम दोनो इसे लाइन दे रहे है..."मैने पेन पकड़ा और टीचर जो लिख रहा था उसे छापते हुए बोला....
"घंटा का लाइन, इतने बड़े कॉलेज मे ये अकेली ही है क्या, जो इसे लाइन देंगे...इसे देखकर तो दीपिका मैम के क्लास मे उत्साहित हुआ दिल भी हतोत्साहित हो गया ..."
"तू मुझे बिगाड़ रहा है..."
"पका मत,..."
वो पीरियड तो ले देके निकल गया, लेकिन मैने जितना खाया पिया था, वो सब निकाल लिया था, हमारे गुरु घंटाल टीचर्स ने और लंच मे मैं और अरुण बाहर आए...
"बैटरी लो है यार,चल कैंटीन से आते है..."अपने पेट पर हाथ फिरा कर मैं बोला...
"चल आजा, माल ताड़ेंगे उधर..."
वैसे तो सीनियर्स की क्लास लगी हुई थी उस वक़्त, लेकिन कुछ ऐसे भी होते है, जो क्लास बंक करके कैंटीन पहुच जाते है, जब हम कैंटीन के अंदर गये तो वहाँ आइटम्स तो थी, लेकिन साथ मे हमारे सीनियर्स भी थे और वो ऐसे बैठे हुए थे जैसे कॉलेज उनके बाप का हो.... और वो यहाँ के अमिताभ बच्चन.
To Be Continued.......
Sana Khan
05-Dec-2021 08:17 AM
Good
Reply
Kaushalya Rani
25-Nov-2021 09:05 PM
Nice part
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Barsha🖤👑
25-Nov-2021 03:04 PM
आप तो कालेज की याद दिला दिए सर
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